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Friday, 19 May 2017

रंडी और पत्नी की औक़ात बिस्तर पर बताता हु पटक पटक कर चोदता हु

रंडी और पत्नी की औक़ात बिस्तर पर बताता हु पटक पटक कर चोदता हु 

रंडी और पत्नी की औक़ात बिस्तर पर बताता हु पटक पटक कर चोदता हु  : मैं भेड़िया, गीदड़, कुत्ता जो भी कह लो, हूं. मुझे लडकियो महिलायों और ओरतो को नोचना और नंगा करना अच्छा लगता है मुझसे तुम्हारा मांसल शरीर बर्दाश्त नहीं होता. तुम्हारे उभरे हुए बोबे देखकर मेरा खून रफ़्तार पकड़ लेता हूं सेक्स की धुन सवार हो जाती है . मैं कुत्ता हूं. तो क्या, अगर तुमने मुझे जनम दिया है. तो क्या, अगर तुम मुझे हर साल राखी बांधती हो. तो क्या, अगर तुम मेरी बेटी हो. तो क्या, अगर तुम मेरी बीबी हो. तुम चाहे जो भी हो मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता. मेरी क्या ग़लती है? घर में बहन की गदरायी जवानी देखता हूं, पर कुछ कर नहीं पाता. तो तुमपर अपनी हवस उतार लेता हूं. घोड़ा घास से दोस्ती करे, तो खायेगा क्या? मुझे तुम पर कोई रहम नहीं आता. कोई तरस नहीं आता. मैं भूखा हूं. या तो प्यार से लुट जाओ, या अपनी ताक़त से मैं लूट लूंगा मैं शादी भी केवल चुदाई करने के लिये करता हु केवल लैंड का पानी निकलने के लिये.
वैसे भी तुम्हारी इतनी हिम्मत कहां कि में तुम्हे नंगा करू तुम्हारी ब्रा चड्डी फाडू और तुम मेरा प्रतिरोध कर सको. ना मेरे जैसी चौड़ी छाती है ना ही मुझ सी बलिष्ठ भुजायें. नाखून हैं तुम्हारे पास बड़े-बड़े, पर उससे तुम मेरा मुक़ाबला क्या खाक करोगे. उसमें तो तुम्हे नेल-पॉलिश लगाने से फ़ुरसत ही नहीं मिलती. कितने हज़ार सालों से हम मर्द तुम पर सवार होते आये हैं रोज रात को अपने निचे पटक पटक कर चोदते है तुम हमारे निचे पड़ी फफक फफक कर रोती रहती हो और हम तुम्हारे उप्पर कूदते रहते है तुम्हारी चूत को हमारे लैंड से मुठ निकाल कर भर देते है और कई बार तो लैंड तुम्हारी गांड में भी डाल देते है तुम्हे चोद चाद कर खुनम खान कर देते है , क्या उखाड़ लिया तुमने हमारा? हर दिन हम तुम्हारी औक़ात बिस्तर पर बताते हैं. तुम चुपचाप लाश बनी चुदती रहती हो गांड मरवाती रहती हो अपनी औक़ात पर रोती या उसे ही अपनी किस्मत मान लेटी रहती हो आह... उफ्फ्फ....आ.... करती रोती रहती हो  ताक़त तो दूर की बात है, तुममें तो हिम्मत भी नहीं है की हम से कह सको की मुझे आज नहीं चुदवाना अभी मेरे प्रिड्स चल रहे है. हम तो शेर हैं. जंगल में हमे देख दूसरे जानवर कम से कम भागते तो हैं पर तुम तो हमेशा चुदाई के लिये उपलब्ध हो . भागती भी नहीं. बस तैयार दिखती हो लुटने के लिये चुदने के लिये. कुछ एक जो भागते भी हो तो हमारे पंजों से नही बच पाते. पजों से बच भी गये तो सपनों से निकलकर कहां जाओगे.
पिछले साल तुम जैसी क़रीब बीस बाईस हज़ार औरतॊं का ब्लाउज़ नोचा हम मर्दों नें बोबे चुसे मसले रगड़े. तुम जैसे बीस बाईस हज़ार औरतों का अपहरण किया. अपहरण के बाद मुझे तो नहीं लगता हम कुत्तों, शेरों या गीदड़ों ने तुम्हे छोड़ा होगा. छोड़ना हमारे वश की बात नहीं. तुम्हारा मांस दूर से ही महकता है. कैसे छोड़ दूं. क़रीब अस्सी-पचासी ह़ज़ार तुम जैसी औरतों को घर में पीटा जाता है. हम पति, ससुर तो पीटते हैं ही, साथ में तुम्हारी जैसी एक और औरत को साथ मिला लिया है जिसे सास कहते हैं. और ध्यान रहे ये सरकारी रिपोर्ट है. तुम जैसी लाखों तो अपने तमीज़ और इज्ज़त का रोना रोते हो और एक रिपोर्ट तक फ़ाईल करवाने में तुम्हारी…. फट जाती है. तुम्हारे मां-बाप, भाई भी इज्ज़त की दुहाई देकर तुम्हे चुप करवाते हैं और कहते हैं सहो बेटी सहो. तुम्हारे लिये सही जुमला गढ़ा गया है, “नारी की सहनशक्ति बहुत ज़्यादा होती है.” तो फिर सहो.
मैं मर्द हूं और हज़ारों सालों से देखता आ रहा हूं कि तुम्हारी भीड़ सिर्फ़ एक ही काम के लिये इक्कठा हो सकती है. मंदिर पर सत्संग सुनने के लिये. तो क्या अगर तुम्हारा रामायण तुम्हे पतिव्रता होना सिखाता है. मर्दों के पीछे पीछे चलना सिखाता है.  हम मर्द तुम्हें अक्सर ही रौंदते हैं. चाहे भगवान हो या इंसान, तुम हमेशा पिछलग्गू थे और रहोगे. तो क्या, अगर हरेक साल तुम तीन-चार लाख औरतों को हम तरह तरह से गाजर-मुली की तरह काटते रहते हैं. कभी बिस्तर पर, कभी सड़कों पर, कभी खेतों में. तुम्हारी भीड़ सत्संग के लिये ही जुटेगी पर हम मर्द के खिलाफ़ कभी नहीं जुट सकती.
तुम्हे शोषित किया जाता है क्युंकि तुम उसी लायक हो. मर्दों की पिछलग्गू हो. भले ही हमें जनमाती हो, पर तुम बलात्कार के लायक ही हो. तुम्हारी तमीज़ तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन और हमारा हितैषी है. जब तक इस तमीज़ को अपने दुपट्टे में बांध कर रखोगे, तब तक तुम्हारे दुपट्टे हम नोचते रहेंगे. जब तक लाज को करेजे में बसा कर रखोगे तब तक तुम्हारी धज्जियां उड़ेंगी. मैं भूखा हूं, तुम भोजन हो. तुम्हे खाकर पेट नहीं भरता, प्यास और बढ़ जाती है....
यदि महिला या कोई लड़की इस लेख को पड़ रही है तो उनसे मेरा निवेदन है की अब बस हुआ यह सब आप यह सब सहन करना बंद करे और अपनी आवाज बुलंद करे  महिला हो या पुरुष सभी एक जीव  है यह जीवन हमें एक बार ही मिला है और इस जीवन में ऐसा काम करे की हमारी वजह से सभी को प्रसन्ता की प्राप्ति हो |

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