Hindi Sex Stories - कुतिया की चुदाई देख मैंने कुतिया बनकर चुदवाया XXX Stories कुतिया की चुदाई देख मैंने कुतिया बनकर चुदवाया
कुतिया की चुदाई देख मैंने कुतिया बनकर चुदवाया : दोस्तों मेरा नाम रवि है और आज मै आप लोगो को अपने जीवन से जुडी एक सच्चाई बताने जा रहा हु आप लोगो से मेरी हाथ जोड़ कर विनती है आप लोग बुरा ना मानियेगा बस मजा लीजियेगा प्लीज .. तो दोस्तों एक दिन हमारी मौसी (मदर’स सिस्टर) पटना से आई मुझे और राधिका को अपने साथ गाव अपनी लड़की अनीता की मँगनी में ले जाने के लिए. हम दोनो भाई-बहन का टिकट अपने साथ बनाकर लेने आई.मम्मी हमसे कही जब तुम्हारे मौसी इतनी दूर से खुद लेने आई तो जाना तो पड़ेगा ही.
लेकिन राधिका की स्कूल भी खूलि है इसलिए जाओ और मँगनी के बाद दूसरे दिन वापस आ जाना. वापसी का टिकट अभी ही जाकर लेलो. मैं देल्ही रेलवे स्टेशन गया वहाँ किसी भी ट्रेन की दो दिन की वापसी टिकट नहीं मिली. अंत मे मैं झारखंड एक्सप्रेस का 98, 99 वेटिंग का ही टिकट लेकर आ गया कि नहीं कन्फर्म होने पर टीटी को पैसे देकर ट्रेन पर ही सीट ले लेंगे. २७थ ऑक्टोबर. 2000 को मैं और राधिका अपनी मौसी (मदर’ससिसटेर) के बेटी (अनीता) के मँगनी से वापस लौट रहे थे.
पटना के पास एक गाव मे हमारी मौसी रहती थी. मौसी ने अनीता की मँगनी में राधिका को लाल रंग के लंगा- चोली खरीद कर दी थी जिसे पहनकर राधिका मेरे साथ देल्ही वापस लौट रही थी. गाव के चौक पर हम लोग गया रेलवे स्टेशन आने के जीप का इंतजार कर रहें थे. इतने में वहाँ एक कुतिया चूत हिलाते हुए आयी और उसके पिछे-पिछे एक कुत्ता (डॉग) दौड़ता हुआ आया कुत्ते का लंड लटका हुआ था में समज गया की वो कुत्तिया की चुदाई करने के लिये पीछे पीछे घूम रहा है.
कुतिया हम लोगो से करीब 20-25 फिट की दूरी पर रुक गयी. कुत्ता उसके पिछे आकर कुतिया की बुर अर्थात चूत चाटने लगा और फिर दोनो पैर कुतिया के कमर पर रखकर अपनी कमर दना दान चलाने लगा. जिसे मैं और राधिका दोनो देखें रहे थे और हमारे शारीर में करंट सा महसूस होने लगा. कुत्ता बहूत रफ़्तार से 8-10 धक्का घपा- घाप लगाकर केरबेट ले लिया. दोनो एक दूसरे में फँस गये. ये सीन हम दोनो भाई-बहन देखें. इतने में गाव के कुच्छ लड़के वहाँ दौड़ते हुए आए और कुत्ता-कुतिया पर पत्थर मारने लगे. कुत्ता अपने तरफ खींच रहा था और कुतिया अपनी तरफ. लेकिन जोट छ्छूटने का नाम ही नहीं ले रही थी. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैने राधिका के तरफ देखा वो शर्मा रही थी लेकिन ये सीन उसे भी अच्छा लग रहा था मुझसे नीचे नज़र करके ये सीन बड़े गौर से देख रही थी. मेरा तो मूड खराब हो गया अब मुझे राधिका अपनी बहन नहीं बल्कि एक सेक्सी लड़की की तरह लग रही थी. अब मुझे राधिका ही कुतिया नज़र आने लगी. मेरा लंड पैंट में खड़ा हो गया. लेकिन इतने में एक ट्रीकर (जीप) आई .हम दोनो जीप में बैठ गये. जीप में एक ही सीट पर 5 लोग बैठे थे जिस से राधिका मुझसे चिपकी हुई थी.
मेरा ध्यान अब राधिका की बुर (कंट/चूत) पर ही जाने लगा. हमलॉग स्टेशन पहुँचे. मैं अपना टिकट कन्फर्मेशन के लिए टी.सी. ऑफीस जाकर पता किया. लेकिन मेरा टिकट कन्फर्म नहीं हुआ था. फिर मैं सोचा किसी भी तरह एक भी सीट लेना तो पड़ेगा ही.टी.सी. ने बताया आप ट्रेन पर ही टी.टी. से मिल लीजिएगा शायद एक सीट मिल ही जाएगा. ट्रेन टाइम पर आ गई. राधिका और मैं ट्रेन पर चढ़ गये.टी.टी. से बहूत रिक्वेस्ट करने पर .200 में एक बर्त देने के लिए अग्री हुआ.टी.टी. एक सिंगल सीट पर बैठा था वो कहा आप लोग इस सीट पर बैठ जाओ जब तक हम आते है कोई सीट देखकर.
मैं और राधिका गेट की सीट पर बैठ गये रात के करीब 10 बज रहे थे खिड़की से काफ़ी ठंडी हवाएँ चल रही थी. हम लोग शोल से बदन ढक कर बैठ गये. इतने में टीटी आकर हम लोगो को दूसरे बोगी में एक अप्पर बर्त दिया. मैने 200 रुपीज़ टी.टी. को देकर एक टिकट कन्फर्म करवा कर अपने बर्त पर पहेले राधिका को उप्पर चढ़ाया चढ़ते समय मैं राधिका के चूतड़ (बूट्तुक) कस्के दबा दीये शिला मुस्कुराती हुई चढ़ि फिर मैं भी उप्पर चढ़ा.
सारे स्लीपर पर लोग सो रहें थे. हमारे स्लीपर के सामने स्लीपर पर एक 7 एअर की गर्ल सो रही थी जिसकी मम्मी दादी मिड्ल और नीचे के बर्त पर थे. सारी लाइट पंखे बंद थे सिर्फ़ नाइट बल्ब जल रही थी. ट्रेन अपनी गति में चल रही थी. राधिका ऊपर बर्थ में जाकर लेट रही थी. मैं भी ऊपर बर्थ पर चढ़कर बैठ गया. राधिका मुझसे कहने लगी लेटोगे नहीं. मैने कहा कहाँ लेटू जगह तो है नहीं इस पर वो कारबट लेकर लेट गयी और मुझे बगल में लेटने कहा. मैं भी उसीके बगल में लेट गया.और शाल ओढ़ लिया. जगह छोटी होने के कारण हम दोनो एकदूसरे से चिपके हुए थे. राधिका का चून्ची मेरे चेस्ट से दबी हुई थी. मुझे तो राधिका की चूत (बुर) पर पहले से ही ध्यान था. मैने और भी अपने से चिपका लिया. राधिका से कहा. और इधर आ जा नही तो नीचे गिरने का डर है.
वो और मुझसे चिपक गयी. राधिका अपनी जाँघ मेरे जाँघ (थाइ) के उपर रख दी. उसका गाल मेरे गाल से सटा था. मैं उसके गाल से उपना गाल रगड़ने लगा. मेरा लंड धीरे- धीरे खड़ा हो गया. मैं अपना एक हाथ राधिका की कमर पर ले गया और और धीरे -धीरे उसका लहगा उपर कमर तक खींच-खींच कर चढ़ाने लगा| राधिका की साँसे भी तेज चलने लगी थी. मैने उसका लहगा कमर के उपर कर दिया और उसकी चूतड़ सहलाने लगा. मैं उसकी पॅंटी पर से हाथ घुमा कर देखने लगा बुर (चूत) के पास उसकी पॅंटी गीली थी उसकी बुर से चिप-चिपा लार निकला था जो मेरे उंगलियों को चट-चटा कर दिया.
मैं पॅंटी के अंदर से हाथ डालकर बुर के पास ले गया उसकी बुर लार से भींगी हुई थी. मैं बुर को सहलाने लगा राधिका ने अपने होठ मेरे होंठो पर रख दिए और मेरे होठ को उपने मुँह में लेकर चूसने लगी. मुझे एक बरगी पूरा बदन में जोशआ गया मैं एक हाथ राधिका के ब्रेस्ट में डालकर उसके संतरे जैसे चूची को सहलाने लगा. उसकी चूची की निपल काफ़ी छ्होटी थी उसे मैं उपने मुँह मे लेकर चूसने लगा. और पहले एक उंगली राधिका की बुर मे घुसा दी. बुर गीली होने के कारण आसानी से उंगल बुर में चला गया. फिर दो उंगली एक बार मे घुसने लगें इस पर राधिका कस-मसाने लगी मैं एक हाथ से उसकी निपल की घुंडी मसल रहा था और एक हाथ उसकी बुर से खिलवाड़ करने लगा . मैं किसी तरह धीरे-धीरे दोनो उंगली उसकी बुर में पुरी घुसेड दी. और दोनो उंगली को चौड़ा करके उसकी बुर में चलाने लगा.
राधिका सिसियाने लगी और अपनी हाथ मेरी पॅंट के जिप के पास लाकर जिप खोलने लगी. मैने भी जिप खोलने में उसकी मदद की और अपना लंड राधिका के हाथ में दे दिया. राधिका मेरे लंड के सुपाडे को सहलाने लगी. उसको मेरा लंड सहलाने से बहूत मज़ा मिला मैं उसकी बुर में इसबार तीन उंगली एकसाथ डालने लगा. बुर से काफ़ी लार गिरने लगा जिस से मेरा हाथ और राधिका की पैंटी पूरी भींग गयी. लेकिन इस बार तीनो उंगली बुर में नहीं जा रही थी मैने एक हाथ से बुर को चीर कर रखा और फिर तीनो उंगली एक साथ डाली राधिका मेरे हाथ पकड़ कर बुर के पास से हटाने लगी शायद इस बार तीनो उंगली से बुर दर्द करने लगी होगी लेकिन मैं उसके होठ अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा और किसी तरह तीनो उंगली आधा जाकर ही अटक गयी .
मैं जोश में आ गया और राधिका की पैंटी एक साइड करके अपना लंड उसके बुर के च्छेद में धूकने लगा. लंड का सूपड़ा ही बुर में घुसा कि राधिका मेरे कन में कहने लगी धीरे- धीरे धुकाओ बुर दर्द कर रही है. मैने थोड़ा सा पोज़िशन लेकर उसके चूतड़ को ही उपने लंड पर दबाया तो एक 1/4 हिस्सा उसकी बुर में गया. मैं उसे ज़्यादा परेशान नहीं करना चाहता था.मैने सोचा पूरा लंड बुर में में धूकाने पर उसके मुँह से चीख निकलेगी और लोग जाग भी सकते हैं इसीलिए मैं 1/4 हिस्सा उसकी बर में घुसाकर अंदर बाहर करने लगा. पैंटी के किनरो ने साइड से मेरे लंड को कस्स रखा था इसलिए मुझे चोदने में काफ़ी मज़ा मिल रहा था राधिका भी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने में मेरा साथ देने लगी.धीरे- धीरे पैंटी भी लंड को कसकर बुर पर चांपे हुए थी.पैंटी के घर्सन से लंड भी बुर में पानी छ्चोड़ने के लिए तैयार हो गया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैने राधिका की कमर को कसकर अपनी कमर में चिपकाए मेरे लंड ने पिचकारी के समान पानी छोड़ दिया .राधिका की पैंटी पूरी भींग गयी.शायद सर्दी की रात के कारण उसे ठंढ लगने लगी फिर उसने अपनी पैंटी धीरे से उतारकर उसी से अपनी बुर पोंच्छ कर पैंटी अपनी हॅंड बॅग में रख ली. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर मैं और राधिका एक दूसरे से चिपक कर सोने लगें. लेकिन हम दोनो के आँखों में नींद कहाँ. मैं राधिका के कान में कहा कुतिया बनकर कब चुदवाओगी. तब राधिका कहने लगी घर चल कर चाहे कटीया बनाना या गाय (काउ) बनाकर चोदना यहाँ तो बस धीरे-धीरे मज़ा लो. हमलॉग शाल से पूरा बदन धक रखे थे. राधिका फिर मेरे लंड को लेकर मसल्ने लगी मैं भी उसकी बुर के टिट को कुरेद कर मज़ा लेने लगा. अब रंडी राधिका मुझसे काफ़ी खूल चुकी थी. मेरे होठ को चूस्ते हुए मेरे लंड मसले जा रही थी उसके हाथो की मसलन से फिर मेरा लंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते मेरा लंड राधिका की मुट्ठी से बाहर आने लगा. राधिका बहूत गौर से मेरे लंड की लंबाई- चौड़ाई नापी 9 इंचस का लंड देख कर हैरान हो मेरे कान में कही इतना मोटा-लंबा लंड तूने मेरी बुर में कैसे धुका दिया. मैने कहा अभी पूरा लंड कहाँ धूकाया हूँ मेरी रानी अभी तो सिर्फ़ 1/4 हिस्सा से काम चलाया हूँ पूरा लंड तो तुम जब घर में कुतिया बनोगी तो हम कुत्ता बनकर डॉगी स्टाइल में पूरे लंड का मज़ा चखाएँगे.
इसपर वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे गॉल में दाँत से काटने लगी फिर मैने उसके कान में धीरे से कहा राधिका तुम ज़रा कारबट बदलकर सो जाओ. तुम अपनी गंद (आस होल) मेरे लंड की तरफ करके सो जाओ. उसपर वो मेरे कान में कहने लगी. नहीं बाबा गंद मारना हो तो घर में मारना यहाँ मैं गंद मारने नहीं दूँगी. फिर मैने उस से कहा नहीं रानी मैं तुम्हारी गांड नहीं मारूँगा मैं तुम्हे लंड-बुर का ही मज़ा दूँगा. फिर वो कारबट बदल दी. मैने राधिका के दोनो पैर मोड़ कर राधिका के पेट (बेल्ली) में सटा दिया जिस से उसकी बुर पिछे से रास्ता दे दी.मैं उसकी गंद अपने लंड की तरफ खींच कर उसकी पैर उसके पेट से चिपका दिया और बुर में पहले दो उंगली डालकर बुर के छेद को थोडा फैलाया फिर दोनो उंगली बुर में डालकर उंगली बुर में घुमा दिया राधिका उस पर थोड़ा चिहुकी |
फिर मैं उसके गाल पर एक चुम्मा लेकर उससे कहा की में तुम्हे कुतिया की तरह चोदना चाहता हु तुम दोनों हाथ और दोनों पारो को निचे रख लो और गांड ऊँची कर लो फिर राधिका कुत्तिया बन गई फिर मैंने अपने लंड को राधिका की बुर में धीरे-धीरे घुसाने लगा. बहुत कोशिश के बाद आधा लंड बुर में घुसा मैं राधिका से ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेना और देना चाहता था. इसलिए बहुत धीरे- धीरे घुसाया और एक हाथ से उसकी निपल की घुंडी मसल्ने लगा. मैने देखा अब राधिका भी अपनी गांड मेरे लंड की तरफ हिला रही है. फिर राधिका की बुर ने हल्का सा पानी छ्चोड़ा जिस से मेरा लंड गीला हो गया और लंड बुर में अंदर- बाहर करने पर थोड़ा और अंदर गया अब सिर्फ़ 1/4 हिस्सा ही बाहर रहा. और मैं धीरे-धीरे अपनी कमर चलाकर राधिका को दुबारा चोदने लगा.
राधिका भी अपनी गांड हिला-हिला कर मज़े से चुदवाने लगी. इस बार करीब एक घंटे तक दोनो चोदा-चोदि करते रहें. ट्रेन ने एक बार कहीं सिग्नल नहीं मिलने के कारण ऐसा ब्रेक मारा कि राधिका के चुतताड ने पिछे के तरफ हाचाक से दवाब डाला जिस से मेरा पूरा लंड खचाक से राधिका की बुर में पूरा चला गया राधिका के मुँह से भयानक चीख निकलने ही वाली थी कि मैने अपने एक हाथ से राधिका का मुँह बंदकर दिया और एक हाथ से उसकी दोनो चूची बारी- बारी से मसल्ने लगा. मैं तो ट्रेन पर उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन ट्रेन की मोशन में ब्रेक लगने के कारण ऐसा हुआ.
राधिका धीरे-धीरे सिसक रही थी. मैं अपने लंड को स्थिर रख कर पहले राधिका की दोनो चूची को कासके मसल रहा था. फिर थोड़ी देर बाद उसे राहत मिली और राधिका अब खुद अपनी कमर आगे- पिछे करने लगी. शायद अब उसे दर्द के जगह पर ज़्यादा मज़ा आने लगा. | मेरा हाथ राधिका की बुर पर गया मैने देखा उसकी बुर से गरम-गरम तरल पदार्थ गिर रहा है मैं समझ गया कि ये बुर का पानी नहीं बल्कि बुर की झिल्ली फटने से बुर से खून (ब्लड) गिर रहा है.मैने राधिका से ये बात नहीं कही क्योंकि वो घबरा जाती मैने अपने पैंट से रूमाल निकाल कर उसकी बुर से गिरे सारे खून को आछि तरह से पोंच्छ दिया और राधिका को अपनी गंद आगे- पीछे करते देख कर मैं भी घपा-घपप धक्का दे-देकर चोदने लगा. राधिका अब मज़े से चुदवाये जा रही थी. जब मैने 10-15 धक्का आगे पिछे होकर लगाए तो राधिका की बुर ने पानी छ्चोड़ दिया.
मैं राधिका की दोनो संतरे जैसी चूची मसल-मसल कर चोदने लगा. करीब 10 मिनिट तक बुर में लंड अंदर- बाहर करके चोद्ते हुए मैने भी पानी छ्चोड़ दिया. और मैं 5 मिनिट तक अपना लंड बुर में डाले पड़े रहा. जब मेरा लंड सिकुड गया तब फिर बुर से बाहर निकालकर फिर अपने रुमाल से बुर और लंड पोंच्छ कर साफ करके रुमाल ट्रेन की विंडो से बाहर फेंक दिया. इस समय सुबह के 4:35. बज रहे थे. अब हम दोनो भाई- बहन एक दूसरे से खुल कर प्यार करने लगे.
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